• rd singh posted an update 10 months, 4 weeks ago

    आज का ज्ञान –

    मंत्रीजी हैं अँगूठा-छाप ।
    उनका PA, IAS-टाप।।
    भारत में आधे बच्चों को,
    इसीलिए नहीं पढ़ाते बाप ।।
    ❣️❣️
    @सीताराम “पथिक”
    (फेसबुक से साभार)

  • rd singh posted an update 5 years ago

    सबको होली मुबारक हो🤣🤣🤣
    *************************
    होरी का समय चल रहा है,
    आल्हा का आने वाला है।
    वो भी कवियों के मंचों पर,
    तो होरी पर कुछ पंक्तियां आल्हा में-
    *************************

    होरी आई कवि टोली में,
    अजब रंग की गजब बहार।
    भाँति-भाँति के शब्द-रंग की,
    फेंक रहें हैं बड़ी फुहार।।
    मुँह की बना लई पिचकारी, मारें बड़ी जोर की मार।
    हु…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    विषय-पर्यावरण
    विधा- दोहा
    **********************

    तरु – मय जंगल मिट रहे, उपजे बन कांक्रीट।
    आबादी बढ़ यों रही , दीमक, मूषक, कीट।।

    अति दोहन भू का करे, विकसित सभ्य समाज।
    किए जा रहा मूर्खता , बुद्धिमान भी आज।।

    नदि – नाले सब पट रहे , लिए गंद को गोद।
    प्रकृति – शत्रु जो वस्तुएँ , रच हम करें प्रमोद।।

    विध्वंसक हथिया…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    शिव दोहा-
    ‘सत्यम्’, ‘शिवम्’, ‘सुन्दरम्’, गूँजे मन दिन-रात।
    नहीं सुहाती और कुछ, है मुझको अब बात।।

    काँवड़िया मन से हुआ , काँधे धर शिव नाम।
    तीरथ मैं नित कर रहा, मन ही अब शिव-धाम।।

    शक्ति स्वयं है भक्ति – मय, महादेव का रूप।
    विष्णु और बृह्मा सभी , देखें रूप अनूप।।

    शिव के उन्नत भाल पर , शोभित चंद अनंग।
    प्रकृति छटा हो बाबरी , मन शिव उठे प्रसंग…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    पद पादाकुलक छंद
    शीर्षक- इजहार
    *********************

    मैं हूँ भौंरा जैसा काला,
    लोगों को कम भाने वाला ;
    तू प्यार सभी को है करती,
    सबही के दिल में है बसती।

    तू है बेहद भोली भाली,
    दुनिया है तेरी मतवाली ;
    मैं भी हूँ तेरा मतवाला,
    मैं हूँ भौंरा जैसा काला।

    तू दिव्य-लोक से आई है,
    रंगों से सजी सजाई है;
    स्तम्भित ब…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    #पादाकुलक छंद-

    मोदी तो है रणवीर हुआ।
    वीरों का मनबल उच्च हुआ।।
    सब हिन्द केसरी उछल पड़े।
    अरि की छाती पर दहल पड़े।।

    मारा गृह में घुसकर उसको।
    ललकार लगी छूने नभ को।।
    भारत वीरों ने दहलाया।
    भौं-भौं से कू-कू पर आया।।

    फिर पूँछ हिलाई थोड़ी-सी।
    दाँतों की हरकत भोंड़ी-सी।।
    हल्के से फूँका, गेर दिया।
    कुत्ते – सा मारा ढेर…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    विषय- तिरंगा
    विधा-वीर रस

    **************************

    कलम खंग के गले मिली अरु, अपनी यारी दई जताय।
    क्रॉस बनाके अरि ललकारा, जिसमें दम है आगे आय।।
    *
    खडग काट दे गल वैरी के, कायर अरि जाके छिप जाय।
    श्वेत-पोश को खोज लेखनी, देती हिजड़ा उसे बनाय।।
    *
    कुत्ते भौकें दूर खड़े हो, असि की मार सही नहिं जाय।
    तीर चलाए बिहँसि लेखनी, दाँत तोड़, दे हाथ थमाय।।
    *
    हिन्द-केस…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years ago

    विधा- गीतिका/गजल
    रद़ीफ- ‘अब तलक’
    काफिया- ‘ई’
    बह्र- २२११ २२२२ , २२२१ २२१२
    **************************************
    . (१)
    सौ बार उसे समझाया क्या समझा कभी अब तलक?
    क्या पूँछ कहीं कुत्ते की सीधी है हुई अब तलक?

    . (२)
    दफना न उसे क्यों देते बस दो गज जमीं खोद के?
    गाड़ो न जमीं में क…[Read more]

  • rd singh posted an update 5 years, 4 months ago

    [bpfb_video]https://www.amazon.in/dp/B078QDYGZ3/ref=cm_sw_r_wa_awdb_t1_caO7Bb6YEKJ83[/bpfb_video]

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now