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विधा- गीतिका/गजल
रद़ीफ- ‘अब तलक’
काफिया- ‘ई’
बह्र- २२११ २२२२ , २२२१ २२१२
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. (१)
सौ बार उसे समझाया क्या समझा कभी अब तलक?
क्या पूँछ कहीं कुत्ते की सीधी है हुई अब तलक?. (२)
दफना न उसे क्यों देते बस दो गज जमीं खोद के?
गाड़ो न जमीं में क्यों तुम क्यूँ देरी करी अब तलक?. (३)
दो एक उठा बम फोड़ो डालो अब उसे कब्र में,
तुम रोज कहानी गढ़ते क्यों पोसे धरी अब तलक!. (४)
तुमको न पता क्या सच में नासूरी रखे खाज वो,
तेजाब गिरा के मारो तकलीफें सही अब तलक।. (५)
छोड़ो न हरामी को यूँ हर बच्चा दुखी हो गया,
‘ऋतु’ रोग सड़ा, दुनिया भी बदबू से भरी अब तलक।***************०२०३२०१९***************
स्वरचित-
ऋतुदेव सिंह ‘ऋतुराज’
गाजियाबाद