Sensible Programs For essaypro.com – Insights

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Convenient papercp Plans Considered

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Understanding Core Elements For myperfectwords

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Revealing Rapid Systems For Diamond Cbd Oil

When you have a look at Diamond CBD's merchandise alone, you'd undoubtedly get misplaced in the middle since there are over four hundred varieties. The results of all the lab…

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FIRST ENTREPRENEURIAL CONCLAVE

The first Entrepreneurial Conclave was organized by Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University (16-17 March 2019). various speakers and entrepreneurs delivered their speech and experience welcome address by Dr. Rishi Agarwal, address by…

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शिव दोहा- ‘सत्यम्’, ‘शिवम्’, ‘सुन्दरम्’, गूँजे मन दिन-रात। नहीं सुहाती और कुछ, है मुझको अब बात।। काँवड़िया मन से हुआ , काँधे धर शिव नाम। तीरथ मैं नित कर रहा, मन ही अब शिव-धाम।। शक्ति स्वयं है भक्ति – मय, महादेव का रूप। विष्णु और बृह्मा सभी , देखें रूप अनूप।। शिव के उन्नत भाल पर , शोभित चंद अनंग। प्रकृति छटा हो बाबरी , मन शिव उठे प्रसंग।। शिव को धारण हम करें , दो पल अपने भाल। दिखता स्वयं कपाल में, होता हुआ कमाल।। शिव के सुंदर नाम बहु , किंतु भाव है एक। दिव्य भाव के मूल में , कल्प करे अभिषेक।। अर्ध – नारि शिवजी बने , जग को देने ज्ञान। नर , नारी मिल कर रहें, जग में एक समान।। औघढ़ – दानी शिव महा, बेहद कृपा-निधान। अपना लेते शीघ्र ही , सरल बुद्धि इंसान।। सीधे – सादे देव शिव , रखते सरल सुभाय। ‘भोले’ कहकर पूजते, शिवलिँग सरल बनाय।। ‘ऋतु’ अदना-सा भक्त है, तुम ही हो आराध्य। देख साधना क्षुद्र – सी, रहना नहीं असाध्य।। **********०३०३२०१९********* स्वरचित- ऋतुदेव सिंह ‘ऋतुराज’ गाजियाबाद

Comments Off on शिव दोहा- ‘सत्यम्’, ‘शिवम्’, ‘सुन्दरम्’, गूँजे मन दिन-रात। नहीं सुहाती और कुछ, है मुझको अब बात।। काँवड़िया मन से हुआ , काँधे धर शिव नाम। तीरथ मैं नित कर रहा, मन ही अब शिव-धाम।। शक्ति स्वयं है भक्ति – मय, महादेव का रूप। विष्णु और बृह्मा सभी , देखें रूप अनूप।। शिव के उन्नत भाल पर , शोभित चंद अनंग। प्रकृति छटा हो बाबरी , मन शिव उठे प्रसंग।। शिव को धारण हम करें , दो पल अपने भाल। दिखता स्वयं कपाल में, होता हुआ कमाल।। शिव के सुंदर नाम बहु , किंतु भाव है एक। दिव्य भाव के मूल में , कल्प करे अभिषेक।। अर्ध – नारि शिवजी बने , जग को देने ज्ञान। नर , नारी मिल कर रहें, जग में एक समान।। औघढ़ – दानी शिव महा, बेहद कृपा-निधान। अपना लेते शीघ्र ही , सरल बुद्धि इंसान।। सीधे – सादे देव शिव , रखते सरल सुभाय। ‘भोले’ कहकर पूजते, शिवलिँग सरल बनाय।। ‘ऋतु’ अदना-सा भक्त है, तुम ही हो आराध्य। देख साधना क्षुद्र – सी, रहना नहीं असाध्य।। **********०३०३२०१९********* स्वरचित- ऋतुदेव सिंह ‘ऋतुराज’ गाजियाबाद

35th Reunion Seminar

Three retired along with three serving IPS officer of 1984 batch attended 35th reunion seminar at National Police Academy, Hyderabad. My batch presents my book on "Internal Security" to the…

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