Vijay Singh posted an update 10 years, 3 months ago
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कोई चाहे कितना à¤à¥€ महान कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना हो जाà¤,
पर कà¥à¤¦à¤°à¤¤ कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी को महान बनने का मौका नहीं देती।।
कंठदिया कोयल को, तो रूप छीन लिया।
रूप दिया मोर को, तो ईचà¥à¤›à¤¾ छीन ली।
दी ईचà¥à¤›à¤¾ इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ को, तो संतोष छीन लिया।
दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया।
दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे à¤à¥€ मोकà¥à¤· छीन लिया।
दिया मोकà¥à¤· उस निराकार को, तो उसका à¤à¥€ आकार छीन लिया।।मत करना कà¤à¥€ à¤à¥€ ग़à¥à¤°à¥‚र अपने आप पर ‘ठइंसान’, मेरे रब ने तेरे और मेरे जैसे कितने मिटà¥à¤Ÿà¥€ से बनाके मिटà¥à¤Ÿà¥€ में मिला दिà¤à¥¤à¥¤