लैंड पुलिग योजना काश्तकारों को 25 प्रतिशत प्लाट कानपुर विकास प्राधिकरण

लैंड पुलिग योजना काश्तकारों को 25 प्रतिशत प्लाट कानपुर विकास प्राधिकरण

कानपुर विकास प्राधिकरण लैंड पुलिग योजना लागू  कर शहर का विकास तेज कर  हजारों लोगो को आशियाना देगा ।

    कानपुर हैदराबाद की तर्ज पर हजारों परिवारों का आशियाने का सपना पूरा करने के लिये के डी ए  लैंड पुलिग मॉडल लागू  कर रहा है। प्रथम चरण मे  हमीरपुर रोड में 25 ,कड़ जमीन बाद मे छतमरा की 60 एकड जमीन विकसित की जायेगी। इसके निरन्तरता मे कानपुर विकास प्राधिकरण काश्तकारों से अविकसित जमीन लेगा और उन्हें 25 प्रतिशत विकसित जमीन प्लॉटों के रूप में लौटायेगा इन प्लॉटों को काश्तकार अपनी मर्जी के दामों पर बेच सकेंगा । बाकी प्लॉटों की बिक्री से के डी ए  विकास पर हुये  खर्च की भरपाई करेगा ।
लैंड पुलिग योजना काश्तकारों को 25 प्रतिशत प्लाट

के डी ए इस योजना के मॉडल बायलाज का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसे बोर्ड की आगामी बैठक में रखकर स्वीकृत कराया जायेगा। प्राधिकरण ने चयनित जमीन के किसानों का चिन्हित करना शुरू कर दिया है। 10-15 दिन में वार्ता आरम्भ कर देगा ।  वर्तमाान मे आवासीय और व्यावसायिक योजना विकसित करने के लिये किसानों से जमीन लेने के लिये  के डी ए को शहरी क्षेत्र में  डी यम  सर्किल रेट से दोगुना और ग्रामीण  क्षेत्र में चार गुना  मुआवजा देना पड़ता है। उक्त पर भी विवाद होते हैं, और योजना  अटक जाती हैं। इसी कारण  न्यू कानपुर सिटी योजना 20 साल में भी विकसित नहीं हो पाई। प्रदेश सरकार ने 20 फरवरी 2019 को लैंड पुलिग  के संबंध में शासनादेश जारी किया था।
अभय कुमार पांडेय सचिव के डी ए ने बताया कि बोर्ड इस शासनादेश को अन्गीकृत कर चुका है। लैंड पुलिग  मॉडल का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसे आगामी  बोर्ड बैठक में स्वीकृत कराया जायेगा। सबसे पहले हमीरपुर रोड की जमीन इस मॉडल के तहत विकसित की जायेगी । जमीन देने वाले किसानों को विकास शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इस प्रकार मिलने वाली आवासीय जमीन पर वे इंपैक्ट शुल्क जमा कर व्यावसायिक सहित कई अन्य गतिविधिया  कर सकेगे।

लैंड पुलिग योजना का प्रस्ताव

किसानों से सहमति के आधार पर जमीन ली जायेगी। के डी ए जमीन के करीब 40 प्रतिशत हिस्से में सड़कें, पार्क, पानी की टंकियां, विद्युत सब स्टेशन, सीवेज पंपिग स्टेशन आदि सामुदायिक सुविधाये विकसित करेगा। यदि किसी काश्तकार-किसान ने 10,000 वगमीटर जमीन दी है तो उसे न्यूनतम ढाई हजार वगमीटर (25 प्रतिशत) क्षेत्रफल के विकसित प्लॉट दिये  जायेगे। के डी ए से अनुबंध के दौरान काश्तकारों को अधिक विकसित जमीन भी देने पर भी सहमति हो सकती है। विकसित प्लॉटों को काश्तकार अपनी दरों पर बेच सकेगा। वह ,एक-एक करके या एक साथ सभी प्लॉट बेच सकता है। शेष प्लॉटों को के डी ए लॉटरी के जरिये बेचेगा। इस मॉडल से जमीन मालिकों को फायदा होने के साथ शहरी क्षेत्र का निर्विवाद वं आसानी से विकास होगा।

लैंड पुलिग जमीन को  इकट्ठा करने की अनुमति

लैंड पुलिग  योजना जमीन के मालिकों को नियोजित शहरी विकास के लिये  अपनी जमीन को  इकट्ठा करने की अनुमति देती है। देश में पहली बार  लैंड पुलिग  योजना 1915 में बॉम्बे टाउन प्लानिं एक्ट के माध्यम से शुरू की गई। इसका उद्देश्य शहरी विकास के लि, छोटी-छोटी जमीनें लेकर उन्हें  एक साथ विकसित करना शामिल था। भूमि अधिग्रहण के बेहतर विकल्प के रूप में उभरी लैंड पुलिग योजना से सरकार के साथ-साथ जमीन के मालिकों को भी फायदा होता है।

अमरावती में इस योजना से सुनियोजित विकास हुआ

लैंड पुलिग स्कीम कई राज्यों के कई शहरों में लाग की गई है, जिनमें आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती का सुनियोजित विकास ,क सफल उदाहरण है। तेलंगना और आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद राज्य को नई राजधानी की जरूरत थी। भूमिअधिग्रहण के बजाय सरकार ने अपनी मर्जी से लैंड पुलिग स्कीम का विकल्प चुना। वहां जमीन के मालिकों ने विकास के लि, अपनी जमीन राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दी। इससे वहां के निवासियों को कई लाभ हु,। दिल्ली विकास प्राधिकरण लैंड पुलिग में जमीन का स्वामित्व देने वाले के नाम पर बना, रखता है।

लाभ लागत व बुनियादी ढांचे का विकास

– विकास के बाद जमीन की कीमत बढ़ने से भूस्वामियों को उचित मुआवजा
– जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण पर संवादऔर विवाद से बचाव
– सुनियोजित शहरी विकास आसान होगा, कम लागत में बुनियादी ढांचे का विकास

क्रियान्वयन में विलंब व विरोध

– क्रियान्वयन की जटिल प्रक्रिया में उच्च स्तरीय सामंजस्य की जरूरत
– कुछ जमीनों के मालिकों की तरफ से विरोध संभव, जिन्हें मनाना पड़ेगा
– कानून व नौकरशाही के अड़चनों के चलते परियोजना पूरी होने में विलंब

×

Cart